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अम्मऩ् - ओम् जय जकतीष हरे |
ओम् जय जकतीष हरे स्वामी जय जकतीष हरे पक्त जऩोम् के सम्कट, तास जऩोम् के सम्कट, क्षण मेम् तूर करे, ओम् जय जकतीष हरे 1 जो त्यावे पल पावे, तुक पिऩसे मऩ का स्वामी तुक पिऩसे मऩ का सुक सम्मति कर आवे, सुक सम्मति कर आवे, कष्ट मिटे तऩ का ओम् जय जकतीष हरे 2 मात पिता तुम मेरे, ஶरण कहूम् मैम् किसकी स्वामी ஶरण कहूम् मैम् किसकी . तुम पिऩ और ऩ तूजा, तुम पिऩ और ऩ तूजा, आस करूम् मैम् जिसकी ओम् जय जकतीष हरे 3 तुम पूरण परमात्मा, तुम अम्तरयामी स्वामी तुम अऩ्तरयामी पराप्रह्म परमेஶ்वर, पराप्रह्म परमेஶ்वर, तुम सप के स्वामी ओम् जय जकतीष हरे 4 तुम करुणा के साकर, तुम पालऩकर्ता स्वामी तुम पालऩकर्ता, मैम् मूरक कल कामी मैम् सेवक तुम स्वामी, क्ऱुपा करो पर्तार ओम् जय जकतीष हरे 5 तुम हோ एक अकोचर, सपके प्राणपति, स्वामी सपके प्राणपति, किस वित मिलूम् तयामय, किस वित मिलूम् तयामय, तुमको मैम् कुमति ओम् जय जकतीष हरे 6 तीऩपम्तु तुकहर्ता, टाकुर तुम मेरे, स्वामी तुम रमेरे अपऩे हात उटावो, अपऩी ஶरण लकावो त्वार पटा तेरे ओम् जय जकतीष हरे 7 विषय विकार मिटावो, पाप हरो तेवा, स्वामी पाप हरो तेवा, ஶ்रत्ता पक्ति पटावो, ஶ்रत्ता पक्ति पटावो, सम्तऩ की सेवा ओम् जय जकतीष हरे 8… |
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46 - अङ्कयऱ्कऩ्ऩि पामालै (अम्मऩ् )
17 - अयिकिरि नन्तिऩि (अम्मऩ् )
55 - ओम् जय जकतीष हरे (अम्मऩ् )
18 - चॆल्लात्ता चॆल्ल मारियात्ता (अम्मऩ् )
49 - तिरु विळक्कै एऱ्ऱि वैत्तोम् (अम्मऩ् )